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हमेशा देश-सेवा और जनसेवा की भावनाओं के वशीभूत होकर कार्य किया है। विभिन्न संस्थाओं और सरकारी बोर्डों, समितियों में रहकर भी जनहित के कामों पर ध्यान दिया है। हरकदम पर पाया है कि भ्रष्टाचार इस देश को भीतर ही भीतर खोखला करता जा रहा है। स्वार्थ के सामने राष्ट्रहित गौण होता जा रहा है। इस टसि को लेकर कलम की ताकत की कलात्मक अभिव्यक्ति के रूप में सन 2003 में कलम कला पाक्षिक अखबार का प्रकाशन आरम्भ किया, जो अनवरत चल रहा है। अब ब्लॉगिंग के जरिए देश भर के नेक और ईमानदार लोगों की टीम बनाकर भ्रष्टाचार मिटाना चाहती हूं।

Monday, April 25, 2011

आईए, शामिल हो जाईए हमारी तहकीकात टीम में




राज और समाज की सम्पूर्ण व्यवस्थाओं की बिगड़ी हालत के लिए बहुत लोग जिम्मेदार हैं, परन्तु उन्हें हम जिम्मेदार ठहरा नहीं सकते, क्योंकि हमारे पास कोई सबूत नहीं है। और सबूतों के लिए जरूरी है हर मामले की, हर घटना की, हर विभाग की, हर अधिकारी या नेता की और हर उस व्यक्ति की तहकीकात की, जो समाज और देश को नुकसान पहुंचा सकते हैं। तो आईए, हमारी टीम में शामिल होकर शुरू करें तहकीकात, और खोल डालिए पर्दे के पीछे की कहानी। जीतता वही है, जिसकी तहकीकात पक्की हो।
-सुमित्रा आर्य, सम्पादक, तहकीकात


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