डोल का बंगला तो नमूना है पहाड़ में अफसरों की ऐयाशियों का

राजस्थान के भगौड़े आई.पी. एस. अधिकारी मधुकर टंडन की ऐयाशी का अड्डा रहा लमगड़ा (अल्मोड़ा) का डोल बंगला इन दिनों एक बार फिर से सुर्खियों में है। बताते चलें कि हरियाणा की स्कूली छात्रा रुचिका मामले में हरियाणा के तत्कालीन डी.जी.पी. एसपी.ए स. राठौर पर उन्नीस साल बाद कानून का शिकंजा कसने से राजस्थान के भगोड़े आई.पी.एस. अधिकारी मधुकर टंडन का नाम भी मीडिया में उछलने लगा है। पाठकों की याद ताजा करने के लिए बता दें कि अल्मोड़ा जनपद मुख्यालय से लमगड़ा मोटर मार्ग में मल्ला सालम पट्टी की बेहद खूबसूरत वादी में स्थित है डोल ग्राम। इस ग्राम में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन खाद्य कमिश्नर बिपिन बिहारी टंडन ने वर्ष 1975 में डोल ग्राम में एक बंगला और उससे लगी 70 नाली (डेढ़ हेक्टेयर) जमीन लगभग पच्चीस हजार रुपये में खरीदी थी। खरीद के वक्त यह भवन साधारण स्थिति में था। बिपिन बिहारी टंडन ने पत्नी सुशीला के नाम से खरीदी गई इस जमीन व भवन का कायाकल्प बेहताशा रकम लगाकर किया। इस दम्पति का ऐयाश बेटा मधुकर टंडन, जो कि राजस्थान कैडर का आई.पी. एस. अधिकारी था, अक्सर यहाँ आने लगा। रंगीन मिजाज मधुकर टंडन के लिए यह रंगरेलियों का अड्डा बन गया।
इस बंगले को कालान्तर में दुर्ग जैसा रूप दे दिया गया, ताकि भवन के अन्दर जो चल रहा है उसकी भनक तक किसी को न लग सके। बिपिन बिहारी ने बंगले की देखरेख के लिए एक स्थानीय ग्रामीण मोती सिंह को चौकीदार रखा था। 1977 में मोती सिंह ने अपनी पुत्री नन्दी का विवाह निकटवर्ती जैंती गाँव में किया। कुछ दिन ससुराल में रह कर नन्दी वापस पिता के घर आई तो फिर कभी ससुराल नहीं गई। पिता के साथ बंगले में आते-जाते रहने वाली नन्दी के यौवन पर ऐयाश मधुकर टंडन ने डाका डाल लिया। प्रलोभन दिया कि वह जल्दी ही नन्दी को अपनी पत्नी बना लेगा। नन्दी एक तरह से डोल बंगले की अघोषित मालकिन हो गई। मधुकर ने मात्र बीस वर्ष की उम्र में नन्दी की नसबंदी भी करा दी, शायद इसलिये कि कहीं उसकी कोई संतान न हो, जो उससे अपना हक माँगने लगे। मगर टंडन ने न तो नन्दी को पत्नी का वैधानिक दर्जा दिया और न ही कभी उसे अपने साथ डोल से बाहर ले गया। परन्तु एक अच्छे कल की आशा संजोये नन्दी ऐय्यास मधुकर पर अपना हुस्न लुटाती रही। बताते हैं कि मधुकर जब बाहर से लड़कियाँ लाकर डोल बंगले में रंगरेलियाँ मनाने लगा तो नन्दी ने इसका विरोध भी किया। परन्तु क्या हो सकता था ? यही मधुकर 1977 में राजस्थान से अपने अर्दली ख्याली राम मीणा की पत्नी मल्ली मीणा का अपहरण कर उसे गाजियाबाद ले गया और कई दिनों तक उससे बलात्कार करता रहा। पीड़ित मल्ली ने गाजियाबाद में मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान दिये और पति ख्यालीराम ने राजस्थान में मधुकर के विरुद्ध राजस्थान में प्राथमिकी दर्ज कराई। राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत ने टंडन को निलंबित घोषित कर दिया। लगातार बारह वर्षों से यह अपराधी राजस्थान पुलिस के अभिलेखों में भगोड़ा चल रहा है। ऊँची पहुँच के चलते उसे आज तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
रुचिका मामले के बाद राजस्थान के साथ किरोड़ीमल मीणा ने मधुकर के खिलाफ मोर्चा खोला है। परन्तु यहाँ पर न्याय बलात्कार पीड़ित मल्ली मीणा के लिए माँगा जा रहा है। पूरे घटनाक्रम में नन्दी कहीं भी नहीं है। राजस्थान में भगोड़ा होते ही मधुकर की डोल में आवाजाही बंद हो गई है। उसकी तलाश डोल बंगले में भी होती रही, परन्तु उस शातिर ने यहाँ का रुख नहीं किया। मुगालते में रह कर लगातार बीस वर्षों तक मधुकर पर अपना सब कुछ लुटाने वाली नन्दी डोल में ही पागलों की तरह घूमने लगी। इसी अवसाद व पागलपन की अवस्था में नन्दी डोल बंगले में वर्ष 2006 के दौरान जल मरी और इसी आग में स्वाहा हो गया ऐयाशी का अड्डा डोल बंगला भी।
डोल बंगले के इस काले कारनामे के बीच यह जरूरी हो गया है कि अपराधी किस्म के राजनेताओं व नौकरशाहों द्वारा ऐयाशी के लिए उत्तराखण्ड के अलग-अलग स्थानों में खरीदी गई बेइंतहा जमीनों की पड़ताल की जाये। उत्तराखण्ड के रमणीक स्थानों पर सारे नियम कानूनों को धता बताकर इस तरह के लोगों द्वारा ऐयाशी के अड्डे बनाये गये हैं, जिनका पर्दाफाश किया जाना जरूरी है। इन लोगों ने पहले स्थानीय लोगों से औने-पौने दाम में जमीन खरीद कर उन्हें उसी जमीन का चौकीदार या माली बना दिया, फिर शराब की लत लगाकर उनका सब कुछ लूट लिया है। ऐसे में पर्वतीय क्षेत्र की आबरू को बचाये रखना बेहद जरूरी हो गया है। इसी बहस के बीच उत्तराखण्ड में आई.ए.एस., आई.पी.एस., आई.एफ.एस. व अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों की शुचिता का ज्वलन्त प्रश्न भी उठ खड़ा होता है कि सरकारी खजाने से उच्च वेतन और सुविधाभोगी इन लोगों की जन सरोकारों और आम जनता के बीच जवाबदेही का कोई ‘कोड ऑफ कन्डक्ट’ अवश्य होना चाहिए।
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